फेल हुआ रामराज्य का दावा, यूपी में हररोज हो रहे रेप और हत्याएं !
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लखनऊ, नेशनल जनमत ब्यूरो
साल के फ़रवरी महीने में विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा था, ”इस देश में रामराज्य ही चाहिए, समाजवाद नहीं चाहिए. हमारी सरकार रामराज्य की अवधारणा को ज़मीन पर उतारने को प्रतिबद्ध है ”
क्या ‘रामराज्य’ के आगाज़ में महिलाएं सुरक्षित हैं? इस सवाल पर दावे कई किए जाते रहे हैं, लेकिन आँकड़ें इन दावों से उलटी तस्वीर पेश कर रहे हैं. यूपी में पिछले 19-20 दिनों में लगातार रेप की वारदात बढ़ती जा रही है.
16 अगस्त, 2020: यूपी के लखीमपुर खीरी में 13 साल की एक दलित लड़की का गैंगरेप हुआ और उसकी लाश गन्ने के खेत में मिली है. 10 अगस्त, 2020: सुदीक्षा भाटी सुबह औरंगाबाद के पास अपने छोटे भाई के साथ मोटरसाइकिल पर जा रही थी जब उसकी मौत हो गई. परिवार का आरोप है कि मोटरसाइकिल सवार दो व्यक्ति भाटी का पीछा कर उसे परेशान कर रहे थे जिसके कारण दुर्घटना हुई.
6 अगस्त, 2020: यूपी के हापुड़ में 6 साल की एक बच्ची को उसके घर के सामने से अगवा कर उसका रेप किया गया. खून से लथपथ वो झाड़ियों में फ़ेंक दी गई.
5 अगस्त, 2020: बुलंदशहर ज़िले के खुर्जा में 8 साल की एक बच्ची के साथ रेप की कोशिश की गई और जब उसने शोर मचाया तो उसका गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी गई. उसका शव भी गन्ने के खेत से मिला.
31 जुलाई, 2020 को यूपी के मुजफ़्फ़रनगर में आठ साल की एक बच्ची का रेप किया गया और गला घोंटकर हत्या कर दी गई. इस बच्ची का शव भी गन्ने के खेत में फ़ेका हुआ मिला.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की इस साल जनवरी में आई सालाना रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है.देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ 2018 में कुल 378,277 मामले हुए और अकेले यूपी में 59,445 मामले दर्ज किए गए. यानी देश के कुल महिलाओं के साथ किए गए अपराध का लगभग 15.8%.
इसके अलावा प्रदेश में कुल रेप के 43,22 केस हुए. यानी हर दिन 11 से 12 रेप केस दर्ज हुए. खास बात ये है कि ये उन अपराधों पर तैयार की गई रिपोर्ट है जो थानों में दर्ज होते हैं. इन रिपोर्ट से कई ऐसे केस रह जाते हैं जिनकी थाने में कभी शिकायत ही दर्ज नहीं हो सकी. एनसीआरबी देश के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है.
महिलाओं की सुरक्षा को अपनी वरीयता बताने वाले सीएम योगी न्यूज़ चैनलों के इंटरव्यू देते समय सूबे में ‘न्यूनतम अपराध’ की बातें करते हैं और दूसरी ओर उन्हीं की सरकार विधानसभा में अलग आँकड़े पेश करती है.
बंद हुई 181 वीमेन हेल्पलाइन, एक साल से सैलरी नहीं –
अखिलेश यादव ने आठ मार्च 2016 को एक महत्वकांक्षी प्रोजक्ट वीमेन हेल्पलाइन 181 की शुरुआत की थी. इसे पायलेट प्रोजेक्ट के तहत 11 ज़िलों में लॉन्च किया गया.
इस हेल्पलाइन नंबर को चलाने की ज़िम्मेदारी मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टेंडिंग के तहत पांच साल तक के लिए एक प्राइवेट कंपनी जीवीके इमर्जेंसी मैनेजमेंट एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट को दिया गया.
इसके बाद मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और योगी मुख्यमंत्री बने. साल 2017 के एनसीआरबी के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश 56011 केस के साथ नंबर एक पर पहुंच गया. इसे देखते हुए जून 2018 में योगी सरकार ने इस योजना को 11 ज़िलों बढ़ा कर 75 ज़िलों तक पहुंचाया.
लेकिन बीते फ़रवरी से राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग ने फंड रोक दिया. 11 महीनों से इस हेल्पलाइन के लिए काम कर रही 350 से ज़्यादा महिला कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है. इस हेल्पलाइन में लखनऊ के हेडक्वार्टर में टेलिकउंसलर्स जो फ़ोन पर बातचीत के ज़रिए मदद मुहैया कराती थी, फील्ड काउंसलर और एक रेस्क्यू वैन हर ज़िले में रखी गई थी. जून में इस हेल्पलाइन नंबर को बंद कर दिया गया.
24 जुलाई, 2020 को योगी सरकार ने इस वीमेन हेल्पलाइन नंबर को पुलिस हेल्प लाइन नंबर 112 से जोड़ दिया है जिसका मतलब है कि अब जिस नंबर का इस्तेमाल पुलिस को इमर्जेंसी कॉल के लिए किया जाता है उसी को वीमेन हेल्पलाइन की तरह भी इस्तेमाल किया जाएगा.
वेतन ना मिलने पर जब महिला कर्मचारियों ने भूख हड़ताल करने को कहा तो योगी सरकार ने जल्द से जल्द बकाया वेतन देने को कहा है हालांकि अब तक इन महिलाओं को वेतन नहीं मिला है.
इस तरह देखा जा सकता है कि महिलाओं के खिलाफ़ बढ़ते अपराध के बावजूद वीमेन हेल्पलाइन बंद कर दी गई.
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